सोमवार यानि 22 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा जो त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त कराने वाला माना जाता है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं एक शुक्ल पक्ष में तथा दूसरा कृष्ण पक्ष में।
भगवान शिव की पूजा एवं उपवास के लिए वैसे ही सोमवार का दिन निष्चित किया गया है। सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोषम या चंद्र प्रदोषम भी कहा जाता है। ऐसे में सोम प्रदोष का महत्व वैसे ही बढ़ जाता है। इस बार 22 अक्टूबर 2018 को प्रदोष तिथि आ रही है इस तिथि का बेहद महत्व है। इस दिन की गयी भगवान शिव की पूजा से अमोघ फल की प्राप्ती होती है।
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को होता है तथा इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। व्रत करने का संकल्प पहले ही ले लें। प्रदोष व्रत के लिए सबसे पहले सूर्य उदय से पहले ही उठ जाएं। नित्य क्रिया से निवृत होकर पूजा की तैयारी में जुट जायें। पूजन स्थल को शुद्ध कर लें। प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कुश के आसन का प्रयोग करें। इसके बाद पूजन की तैयारियां जैसे फल, फूल, दीप आदि की व्यवस्था कर उत्तर पूर्व की दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को होता है तथा इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। व्रत करने का संकल्प पहले ही ले लें। प्रदोष व्रत के लिए सबसे पहले सूर्य उदय से पहले ही उठ जाएं। नित्य क्रिया से निवृत होकर पूजा की तैयारी में जुट जायें। पूजन स्थल को शुद्ध कर लें। प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कुश के आसन का प्रयोग करें। इसके बाद पूजन की तैयारियां जैसे फल, फूल, दीप आदि की व्यवस्था कर उत्तर पूर्व की दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
पूजा करते समय ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए शिव जी को जल चढाएं फिर चंदन से तिलक करें। क्रम से विधिपूर्वक पूजा कर लें। भगवान शिव पर बिल्वपत्र चढ़ाने का अलग महत्व है। पूजा के दिन पूरे दिन उपवास रखने का नियम है। शास्त्रों में वर्णन है कि यह व्रत करने से देवाधिदेव महादेव प्रसन्न होते हैं।
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