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पार्श्वनाथ टोंक पर दर्शनार्थियों की उमड़ी भीड़ |
मधुबन - मधुबन स्थित मकर संक्राति मेला मैदान मंगलवार को करीब -करीब एक लाख लोगों की भीड़ का गवाह बना। सुबह तीन बजे से ही मेला दर्शनार्थियों का जत्था मधुबन पहुंचने लगा था। कुछ लोग एक दिन पहले ही अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए थै। सुबह तीन बजे से ही मधुबन मुख्य मार्ग सहित पारसनाथ स्थित पैदल वंदना मार्ग में चलकदमी शुरू हो गयी जो देर रात तक चलती रही। इधर मकर संक्रांति मेला समिति मेला के सफल संचालन को ले दिनभर मुस्तैद रही। वाहन पार्किंग, एंबुलेंस, सुरक्षा जैसी सुविधाएं मेला के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए उपलब्ध करायी गयी थी। इधर सुरक्षा को ले पुलिस के जवान भी जगह जगह तैनात थे जो मेला की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे।
बताया जाता है कि बीते कई वर्षों से प्रतिवर्ष 15 जनवरी में मेला का आयोजन होता रहा है। स्थानीय लोग इस मेला को खिचड़ी मेला के नाम से भी जानते हैं। पर पहले यह मेला इतना वृहत और व्यवस्थित नहीं था पर जब से मकर संक्रांति मेला समिति ने इस मेला का कमान संभाला है मेला दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में मंगलवार को एक अनुमान के मुताबिक लगभग एक लाख की भीड़ मधुबन पहुंची थी। आलम यह कि मधुबन स्थित मेला मैदान से पर्वत स्थित पाश्र्वनाथ टोंक तक एक जैसी भीड़ थी। कहीं पैर रखने की जगह नहीं मिल रही थी दो मिनट का फासला तय करने में 15 मिनट का समय लग रहा था। मंदिर, म्यूजीयम, मैदान व पर्वत हर जगह केवल लोगों के सर ही दिख रहे थे।
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मेला परिसर का नजारा |
मेला को देखते हुए मेला मैदान के अलावा मुख्य सड़क के किनारे - किनारे भी तरह- तरह की दुकानें सज गयी थी। किसी ने खिलौनें की दुकान लगायी थी तो किसी ने मिठाई की। मेला मैदान से लेकर पर्वत की तलहटी तक कई दुकानें लगी।
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मुख्य मार्ग में उमड़ी भीड़ |
कड़ाके की ठंढ में भी समिति सदस्यों का छूटा पसीना
लगभग एक लाख की भीड़ वाली को व्यवस्थित संचालन करने में समिति सदस्यों का पसीना छूट रहा था। इस कड़ाके की ठंढ में भी रात के दो बजे से समिति सदस्य अपने अपने कार्यों में तैनात हो गए थे। किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जा रहा था। वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गयी थी ताकि किसी को वाहन रखने में परेशानी न हो। वहीं दूसरी ओर मुख्य मार्ग में समिति द्वारा किसी को वाहन न चलाने की अपील की गयी थी। सड़क में वाहन के संचालन न होने से लोग आराम से मेला का लुत्फ उठा रहे थे।
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नजारा वाहन पार्किंग स्थल का |
जैसे- जैसे दिन ढलता गया मेला में गुम हो जाने वाले लोगों की संख्या भी बढती गयी। कभी परिवार का कोई एक सदस्य गुम हो जाता तो कभी बच्चे अपने माता - पिता से बिछड़ जाते। लेकिन समिति सदस्यों ने तत्परता से सभी को उसके परिजनों तक पहुंचाया। समिति कार्यालय से बार घोषणा की जा रही थी। इस मेला में न केवल आसपास के क्षेत्रों से बल्कि धनाबाद, बोकारो, हजारीबाग, कोडरमा, देवघर आदि जिलों से भारी संख्य में लोग यहां पहुंचे थे।
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