जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन स्थित श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी में विराजमान गणाचार्य ने गुरूवार को मधुबन से विहार किया। आचार्य श्री इटखोरी के लिए रवाना हुए। विदाई बेला के दौरान भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मधुबन से निकलते ही प्रथम दिन पहला ठहराव हरलाडीह में रहा।
गणाचार्य विराग सागर जी महाराज इस वर्ष की चतुर्मास आराधना को ले मधुबन पहुंचे थे। मधुबन प्रवास के दौरान मधुबन स्थित श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी में विराजमान रहे। चतुर्मास के दौरान आचार्य श्री के सान्निध्य में दर्जनाधिक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यहां तक कि जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। चतुर्मास समेत अन्य कार्यक्रम संपन्न करने के बाद आचार्य श्री गुरूवार को मधुबन से विहार कर गए। इस क्रम में वे इटखोरी जा रहे है। इटखोरी के बाद खंडगिरी, उदयगिरी जाऐगे। इधर गुरूवार को विदाई वेला के दौरान भारी संख्या में भक्तगण उमड़ पडे। सबसे पहले आचार्य श्री कोठी से निकलकर विमल समाधि पहुंचे तथा वहां दर्शन कर अगले पड़ाव की ओर रवाना हो गए। सभी श्रद्धालु अपने अपने घरों व दुकानों के सामने विदाई के लिए रंगोली आदि बनाकर खड़े थे। भक्तों ने नम आंखों से विदाई दी। सभी भक्तगण जुलूस के शक्ल में आचार्य श्री के साथ साथ चल रहे थे। शाम होते ही आचार्य श्री हरलाडीह में रूक गए। आचार्य श्री के साथ 48 साधु- साध्वी शामिल हैं।
गणाचार्य विराग सागर जी महाराज इस वर्ष की चतुर्मास आराधना को ले मधुबन पहुंचे थे। मधुबन प्रवास के दौरान मधुबन स्थित श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी में विराजमान रहे। चतुर्मास के दौरान आचार्य श्री के सान्निध्य में दर्जनाधिक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यहां तक कि जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। चतुर्मास समेत अन्य कार्यक्रम संपन्न करने के बाद आचार्य श्री गुरूवार को मधुबन से विहार कर गए। इस क्रम में वे इटखोरी जा रहे है। इटखोरी के बाद खंडगिरी, उदयगिरी जाऐगे। इधर गुरूवार को विदाई वेला के दौरान भारी संख्या में भक्तगण उमड़ पडे। सबसे पहले आचार्य श्री कोठी से निकलकर विमल समाधि पहुंचे तथा वहां दर्शन कर अगले पड़ाव की ओर रवाना हो गए। सभी श्रद्धालु अपने अपने घरों व दुकानों के सामने विदाई के लिए रंगोली आदि बनाकर खड़े थे। भक्तों ने नम आंखों से विदाई दी। सभी भक्तगण जुलूस के शक्ल में आचार्य श्री के साथ साथ चल रहे थे। शाम होते ही आचार्य श्री हरलाडीह में रूक गए। आचार्य श्री के साथ 48 साधु- साध्वी शामिल हैं।
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