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‘पापों के दलदल में फंस कर धर्म सिसकता है वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है --- ] महावीर झूले पलना --- जैसे गीतों से बुधवार को मधुबन का ekgkSy पूरी तरह भक्तिमय रहा। मौका था जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मकल्याणक यानी जयंती की। इस दौरान मधुबन में धार्मिक कार्यक्रमों की झड़ी लग गयी। वहीं शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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निकाली गयी झांकी |
बताया जाता है कि पूर्व से तय कार्यक्रम के तहत बुधवार को महावीर जयंती के अवसर पर जैन समाज] मधुबन द्वारा शोभायात्रा निकाली गयी। एक शोभायात्रा श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी के मानस्तंभ परिसर से निकली वहीं जैन ष्वेतांबर सोसयाटी से श्री जी का पालकी निकली तथा दोनों मुख्य मार्ग में मिले और नगर भ्रमण किया। शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह व उमंग देखते ही बन रहा था। आगे - आगे जैन धर्म का घ्वजा लेकर कुछ लोग चल रहे थे। ठीक उसके पीछे भगवान महावीर का संदेश जियो और जीने दो लिखा बैनर था। उसके बाद क्रम से दो झांकियां थी। और पीछे भक्ति भाव से सराबोर जनसमूह। कोई महावीर के जयकारों का नारा लगाता तो कोई गीतों पर थिरकता। भ्रमण के बाद मधुबन स्थित अणिंदा पाश्र्वनाथ में आकर शोभायात्रा समाप्त हो गयी।
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शोभायात्रा में शामिल महिलाएं |
उसके बाद मंदिर में धार्मिक विधियों की शुरूआत की गयी। इस दौरान शांतिधारा व श्री जी का अभिषेक किया गया। फिर बालाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने आज के दौर में भगवान महावीर की जीवनी व उनके संदेशों के महत्व को बताया। यही नहीं अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी बालाचार्य के सान्निध्य में ही संपन्न हुए। जहां एक ओर सुबह धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए वहीं दूसरी ओर शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मंदिर के साथ साथ मधुबन स्थित जे-जे- स्कूल में भी बच्चों व षिक्षकों ने महावीर जयंती मनायी।
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