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फिल्म का पोस्टर |
फिल्म शुरू होते ही हमें पता चलता है कि मोनार्क नामक एक संस्था है जो टाइटन यानी विशालकाय जनवरों का पता करने, उसका अध्ययन करने, मारने आदि के लिए नियुक्त है। मां - बेटी एमा रसेल व मेडिसन रसेल दिखाई देती है। बेटी का पिता के प्रति अगाध प्रेम है पर उसकी मां और पिता एमा रसेल व मार्क रसेल का तलाक हो चुका है। फिल्म आगे बढ़ती है और मां बेटी का अपहरण हो जाता है। उन दोनों को खोजने में मार्क रसेल भी जुट जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकार चाहती है कि सभी टाइटन मार दिए जाये क्यांेकि वे खतरनाक है। पर एमा जो एक पेलेबायोलाजिस्ट है तथा एक अन्य किरदार डा़ सेरिजावा इन विशालकाया व खतरनाक जीवों के मारने के पक्ष में नहीं है। उनके अनुसार इन्हें जगाने व उग्र करने में मानवीय गतिविधियों का ही हाथ है। इसी में एक ड्रेगन की आकृति का तीन मुंह वाला विशालकाय जानवर तबाही मचाता है मुख्य रूप से फिल्म का विलेन भी यही है। क्यां अंत में मां, बेटी व पिता आपस में मिल पाते है? विशालकाय जानवरों के तांडव से दुनिया बचती है या नहीं? टाइटन का क्या होता है? बस यही फिल्म की कहानी है।
कहानी काफी धीमी चलती है। कहानी समझने से बेहतर जानवरों को देखना ही अच्छा लगता है। हलांकि एक ही चीज को बार बार देखना भी एक समय के बाद उबाउ भी लगने लगता है। हां, दो जनावरों के बीच के युद्ध का फिल्मांकन बेशक बहुत बढ़िया है। किस्म-किस्म के विशालकाय जानवर, पतंग की तरह हवा में उड़ते सैकड़ों हैलीकाप्टर, समुद्र के अंदर व शहरों को तहस- नहस करते विशालकाय जानवर ये सब कुछ ऐसे दृश्य है जिन्हें बखूखी चित्रण किया गया है।
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