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फोटो : dreamstime.com |
जी, तो मैं बात कर रहा हूं उन चंद लिखने में सक्षम लोगों की जो रेलवे स्टेशनों, रेल कोच के शौचालयों, बस पड़ावों, सार्वजनिक स्थलों, पर्यटनस्थलों आदि जगहों में अश्लील व अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते है। कुछ ऐसा लिखा होता है कि पढ़ने वाले का सर शर्म से झुक जाय और दुबारा उस ओर नजर उठाने की हिम्मत न हो। अगर आपके साथ चल रहा कोई बच्चा जिज्ञासावश आपसे उन शब्दों का अर्थ पूछ लें तो आपके पैरों की जमीन ही खिसक जायेगी। मैं ऐसे ही पढ़े लिखे लोगों की बात कर रहा हूं जो ऐसे लिखते हैं। जाहिर सी बात है इससे अच्छा तो यह होता कि ये अनपढ़ ही रहते हैं। साथ ही साथ मैं वैसे कंप्यूटर साक्षर व स्मार्टफोन आपरेटिंग में सिद्धिप्राप्त लोगों की बात कर रहा हूं जो व्हाटस्एप्प, फेसबुक जैसे सोशल मिडिया में दूसरे की अस्मत को उछालते हैं। बीते 16 सितंबर को बिहार के राजगीर में एक नाबालिग का गैंगरेप हुआ। मामला पुलिस तक पहुंची और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफतार कर लिया। लेकिन आपको यह जानकार अफसोस होगा कि घटना के एक माह बाद भी सोशल मिडिया में पीड़िता की अस्मत लूटी जा रही है। किसी ने दुष्कर्म की पूरी विडियो को सोशल मिडिया में वायरल कर दिया है। एक शख्स ने फेसबुक में अपना स्टेटस अपडेट किया है। इसमें पूरी विडियो भेजने के एवज में सौदेबाजी की जा रही है। एक शख्स बेशर्मी से दावा करता है कि उसके पास पूरा विडियो है।
वह फेसबुक आइडी असली है या नकली या किसी ने इसका गलत इस्तेमाल किया है यह तो अनुसंधान का विषय है। पर मैं ऐसे लोगों की मानसिकता की बात कर रहा हूं। इनलोग ने पढ़ लिख कर इस टेक्नालाजी का क्या उपयोग किया। किसी की अस्मत उछालना दुष्कर्म से कम बड़ा अपराध नहीं है। लोग पढ़े - लिखे, डिग्री हासिल करे, तकनीक की बारिकियों को समझे। पर यह सब करे अपने व दूसरे के जीवन को संवारने के लिए न कि किसी के जीवन में विष घोलने व जिंदगी को नारकीय बना देने के लिए।
- दीपक मिश्रा, देश दुनिया वेब
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