तुला राशि राशिचक्र की सातवीं राशि है। इसका स्वरूप हाथ में तराजू लिए पुरूष जैसा है। पुरूष जाति, चर संज्ञक, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, वायुतत्व, श्यामवर्णी, शीर्षोदयी, दिनबली, क्रूर, शूद्र संज्ञक है। विचारशीलता, राजनीतिक चातुर्यशास्त्रों के प्रति जिज्ञासा, अपना कार्य सिद्ध करने में माहिर होते हैं।
तुला यानी संतुलन, इस राशि के जातकों के स्वभाव में भी कुछ ऐसे ही गुण की उम्मीद की जा सकती है। इस राशि के जातक न्यायप्रिय होते हैं। पर चर राशि होने के कारण अस्थिर तथा अपना कमक्षेत्र व जीवनचर्या निरंतर बदलते रहते हैं। इनका बौद्धिक स्तर उंचा होता है।
तुला राशि का स्वमी शुक्र है। ऐसे में निश्चय ही जातकों में कहीं न कहीं जीवंत कलाकार होगा। ऐसे जातक शांति प्रिय होते हैं पर इनमें निर्भिकता होती है। अव्वल बात तो यह कि ये लोग काफी परिश्रमी और साहसी होते हैं। कठिनाइयों से भी नहीं घबराते। सामान्य तौर क्रोध नहीं आता, पर आता है तो सरलता से नहीं जाता।
इन जातकों का सबसे ज्यादा शुभ दिन सोमवार और शुक्रवार होता है। उस दिन को और पूरे जीवन को जब तक वे कठोर संयम, अनुशासन में रखते हैं तो वे निश्चय ही सफलता प्राप्त करते रहते हैं। जब शुक्र की महादशा आती है तो इनका जीवन चरम सीमा पर पहुंच जाता है, मगर फिर शुक्र की निर्बलता ही इन्हें परास्त कर देती है।
तुला यानी संतुलन, इस राशि के जातकों के स्वभाव में भी कुछ ऐसे ही गुण की उम्मीद की जा सकती है। इस राशि के जातक न्यायप्रिय होते हैं। पर चर राशि होने के कारण अस्थिर तथा अपना कमक्षेत्र व जीवनचर्या निरंतर बदलते रहते हैं। इनका बौद्धिक स्तर उंचा होता है।
तुला राशि का मूल स्वभाव
तुला राशि के जातक के पास धन की कमी नहीं होती। इस राशि के जातक अपने आपको तथा अपने घर को सजाने संवारने में ज्यादा ध्यान देते हैं। साथ ही साथ इनकी रूचि गायन, कला और गृहकार्य में देखने को मिलती है। इस राशि के लोग बच्चों से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, यहां तक कि ये जातक अपने बचपन में काफी आज्ञाकरी, संस्कारी व सीधे स्वभाव के होते हैं। इनका रूझान खेल कूद, नृत्य, गीत, कला में रहता है। यह राशि व्यवहरिक होने के साथ साथ आदर्शवादी भी होती हैं।तुला राशि का स्वमी शुक्र है। ऐसे में निश्चय ही जातकों में कहीं न कहीं जीवंत कलाकार होगा। ऐसे जातक शांति प्रिय होते हैं पर इनमें निर्भिकता होती है। अव्वल बात तो यह कि ये लोग काफी परिश्रमी और साहसी होते हैं। कठिनाइयों से भी नहीं घबराते। सामान्य तौर क्रोध नहीं आता, पर आता है तो सरलता से नहीं जाता।
तुला राशि की कमियां
भोजन और वस़्त्रों के शौकीन। इस कारण इन्हें सरलता से पहचाना जा सकता है। जब इसके पाप ग्रह उदय होते हैं तो यह अधिक फैशन परस्त होकर अपने दूर्दिन स्वयं बुलाते हैं।इन जातकों का सबसे ज्यादा शुभ दिन सोमवार और शुक्रवार होता है। उस दिन को और पूरे जीवन को जब तक वे कठोर संयम, अनुशासन में रखते हैं तो वे निश्चय ही सफलता प्राप्त करते रहते हैं। जब शुक्र की महादशा आती है तो इनका जीवन चरम सीमा पर पहुंच जाता है, मगर फिर शुक्र की निर्बलता ही इन्हें परास्त कर देती है।
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