यूं तो झारखंड में दर्जनाधिक पर्यटक स्थल सह धार्मिक स्थल है। जहां सैलानियों का आवगामन सालोंभर जारी रहता है। लेकिन दिसंबर माह से सैलानियों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो जाती है। ऐसे ही स्थलों में से एक है तमासीन। झारखंड के चतरा जिला स्थित तमासीन की वादियां सहज रूप से सैलानियों को अपनी और आकर्षित कर रही है।
जिला मुख्यालय से महज 32 किलोमीटर दूर एक बड़ा ही मनोरम स्थल है, जो तमासीन जलप्रपात के रूप में जाना जाता है। अनुपम सौंदर्य और आकर्षक वातावरण उसकी विशेषता है। पहाड़ी से गिरता झरना निरंतर जीवन का राग सुनाता है। उसका पानी मस्ती के साथ जीवन गुजारने का अनवरत संदेश देता रहता है। बनावट ऐसी कि किसी भी मौसम में वहां जल्द शाम हो जाती है। उसके दोनों तीर सुख-दुख के पर्याय बनकर जीवन की राह अपनी मर्जी के मुताबिक गुजारने का आह्वान करते हैं। जंगल की हरियाली पर्यावरण संरक्षण कर जीव-जगत का अस्तित्व बचाने के लिए प्रेरित करता है। कुल मिलाकर जीवन दर्शन देने वाला यह स्थान देसी विदेशी पर्यटकों को लुभाने की भरपूर क्षमता रखता है। जरूरत है इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की।
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकती है यह जगह
जिला मुख्यालय से महज 32 किलोमीटर दूर एक बड़ा ही मनोरम स्थल है, जो तमासीन जलप्रपात के रूप में जाना जाता है। अनुपम सौंदर्य और आकर्षक वातावरण उसकी विशेषता है। पहाड़ी से गिरता झरना निरंतर जीवन का राग सुनाता है। उसका पानी मस्ती के साथ जीवन गुजारने का अनवरत संदेश देता रहता है। बनावट ऐसी कि किसी भी मौसम में वहां जल्द शाम हो जाती है। उसके दोनों तीर सुख-दुख के पर्याय बनकर जीवन की राह अपनी मर्जी के मुताबिक गुजारने का आह्वान करते हैं। जंगल की हरियाली पर्यावरण संरक्षण कर जीव-जगत का अस्तित्व बचाने के लिए प्रेरित करता है। कुल मिलाकर जीवन दर्शन देने वाला यह स्थान देसी विदेशी पर्यटकों को लुभाने की भरपूर क्षमता रखता है। जरूरत है इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की।
मकर संक्रांति में उमड़ती है सैलानियों की भीड़
पर्यटकों के लिए
यह स्वर्ग है।
तमासीन जैसा अनुपम
सौंदर्य झारखंड में शायद
दूसरी जगह नहीं
होगा। अनुपम सौंदर्य
की वजह से
ही यहां एक
बार आने वाले
पर्यटक बार-बार
आने की इच्छा
रखते हैं। सामान्य
जमीनी स्थल से
करीब दो सौ
फीट की ऊंचाई
से कई चट्टानों
से टकराते हुए
जलकण जमीन पर
गिरकर अछ्वुत मनोहरी
छटा उत्पन्न करते
हैं। कलकल छलछल
व निनाद करते
गिरने वाला झरना
तमासीन की प्राकृतिक
शोभा को चार
चांद लगा देता
है। कान्हाचट्टी प्रखंड
की तुलबुल पंचायत
में स्थित तमासीन
पेड़-पौधों के
रंग बिरंगे फूलों
की मादकता ने
जलप्रपात की शोभा
को चार चांद
लगा कर अछ्वुत
बना दिया है।
गर्मी एवं ठंड
के दिनों में
यहां पर पर्यटकों
के आने जाने
का क्रम बना
रहता है। मकर
संक्रांति और एक
जनवरी को अप्रत्याशित
भीड़ उमड़ती है।
तमासीन में मनोहरी
छटा तो है
ही, आध्यात्मिक वास
भी है। सनातन
धर्मावलंबियों की आस्था
जुड़ी हुई है।
यही वजह है
कि लोग उसे
तमासीन मां की
नाम से भी
जानते हैं।
आस्था का भी केंद्र है यह स्थल
आस्था का भी
केंद्र माता तमासीन
से लोगों का
आपार आस्था है।
मुंडन संस्कार से
लेकर मनौती मानने
के लिए लोग
आते हैं। तुलबुल
गांव निवासी रवींद्र
पांडेय कहते हैं
कि पुत्र प्राप्ति
के लिए महिलाएं
यहां मनौती मानने
आती है। मनोकामना
पूरी होने पर
लोग बच्चे का
मुंडन संस्कार के
लिए यहीं आते
हैं।
साभार : दैनिक जागरण
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