फिल्म - अंग्रेजी मीडियम
अभिनेता - इरफान खान, करीना कपूर, राधिका मदान, दीपक डोबरियाल, कीकू शारदा आदि
निर्देशक - होमी अदजानिया
जाॅनर - काॅमेडी
अवधि - 145 मिनट
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के क्रम में आनेवाली कठिनाइयों पर आधारित ‘हिंदी मीडियम‘ का सीक्वल है अंग्रेजी मीडियम। बता दें साकेत चैधरी की ‘हिंदी मीडियम‘ वर्ष 2017 में आयी थी।
फिल्म की कहानी उदयपुर से शुरू होती है। चंपक बसंल यानी इरफान खान अपनी बेटी तारिका अर्थात राधिका मदान के साथ रहता है। वह विधुर है तथा अपनी बेटी को अकेले पालता है। वह उसकी हर ख्वाहिश पूरी करता है। चंपक की मिठाई की दुकान है। ठीक सामने उसका भाई गोपी बंसल भी मिठाई की ही दुकान चलाता है। इस किरदार को दीपक डोबरियाल ने निभाया है। दोनों के बीच कानूनी लड़ाई चलती है। तारिका बचपन से ही विदेश में पढ़ाई करने का सपना देखती है। उसे लंदन टूफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना है। काॅलेज से मौका मिलने के बावजूद वह अपने पिता के कारण उस मौके से चूक जाती है। बेटी के लंदन में पढ़ने के सपने को पूरा करने के लिए एक पिता कितना संघर्ष करता है। यही संघर्ष फिल्म का मूल विषय है।
ऽ फिल्म की पटकथा और संवाद भावेश मंडालिया, गौरव शुक्ला, विनय चव्वल और सारा बोदिनर ने लिखे। पर साफ लगा कि लेखकों की भीड़ हो जाने के चलते फिल्म में कन्फ्यूजन ज्यादा हो गया। इरफान और राधिका के अलावा दीपक डोबरियाल और कीकू शारदा के निभाए किरदारों को भी राजस्थानी बताया गया है। लेकिन राजस्थानी लहजे में बोले गए उनके डायलॉग कहीं.कहीं बोझिल लगे।
बहरहाल, फिल्म की मजबूत कड़ी अदाकारों की परफॉर्मेंस हैं। चंपक बंसल के रोल में इरफान ने असरदार अभिनय किया है। सिंगल पेरेंट की ख्वाहिशों और चुनौतियों को उन्होंने जीवंत किया है। पूरी उम्र अपना सब कुछ इकलौती बेटी पर न्यौछावर करने वाले शख्स की क्या पसंद-.नापसंद हो सकती है, उसे इरफान ने अलग आयाम दिया है। जब तारिका के साथ उसकी जज्बाती जंग होती है तो वो भी फिल्म में जबरदस्त तरीके से उभर और निखर कर सामने आ जाती है। इरफान ने अपनी परफॉर्मेंस से फिल्म के कमजोर लेखन में जान फूंक दी है।
ऽ तारिका की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। जिस परिवेश में वो रही है, वहां औरतों को कुछ नहीं समझा जाता है। ऐसे में वह हर हाल में लंदन कूच करना चाहती है। इसी चक्कर में उसे अपने पिता के त्याग भी नहीं दिखते। कहा जा सकता है कि तारिका के तौर पर राधिका मदान ने अपने करिअर की अबतक की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है।
ऽ चंपक के भाई की भूमिका में दिखे दीपक डोबरियाल फिल्म की दूसरी सबसे मजबूत कड़ी हैं। किरदार के गेटअप से लेकर उसके हाव.भाव को बेहद खूबसूरती से निभाया है। डिंपल कपाड़िया और करीना कपूर खान ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है। बाकी साथी कलाकारों ने भी ठीक.ठाक काम किया है।
ऽ फिल्म जादुई असर छोड़ पाती अगर कलाकारों की जोरदार अदायगी को सधी हुई लेखनी का साथ मिला होता। हलांकि एक फ्रेम में इतने मंझे हुए कलाकारों को देखना एक सुखद अनुभव है ।
अगर मुझसे कोई रेटिंग पूछे तो मेरा जवाब पांच में से तीन स्टार होगा।
अभिनेता - इरफान खान, करीना कपूर, राधिका मदान, दीपक डोबरियाल, कीकू शारदा आदि
निर्देशक - होमी अदजानिया
जाॅनर - काॅमेडी
अवधि - 145 मिनट
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के क्रम में आनेवाली कठिनाइयों पर आधारित ‘हिंदी मीडियम‘ का सीक्वल है अंग्रेजी मीडियम। बता दें साकेत चैधरी की ‘हिंदी मीडियम‘ वर्ष 2017 में आयी थी।
फिल्म की कहानी उदयपुर से शुरू होती है। चंपक बसंल यानी इरफान खान अपनी बेटी तारिका अर्थात राधिका मदान के साथ रहता है। वह विधुर है तथा अपनी बेटी को अकेले पालता है। वह उसकी हर ख्वाहिश पूरी करता है। चंपक की मिठाई की दुकान है। ठीक सामने उसका भाई गोपी बंसल भी मिठाई की ही दुकान चलाता है। इस किरदार को दीपक डोबरियाल ने निभाया है। दोनों के बीच कानूनी लड़ाई चलती है। तारिका बचपन से ही विदेश में पढ़ाई करने का सपना देखती है। उसे लंदन टूफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना है। काॅलेज से मौका मिलने के बावजूद वह अपने पिता के कारण उस मौके से चूक जाती है। बेटी के लंदन में पढ़ने के सपने को पूरा करने के लिए एक पिता कितना संघर्ष करता है। यही संघर्ष फिल्म का मूल विषय है।
ऽ फिल्म की पटकथा और संवाद भावेश मंडालिया, गौरव शुक्ला, विनय चव्वल और सारा बोदिनर ने लिखे। पर साफ लगा कि लेखकों की भीड़ हो जाने के चलते फिल्म में कन्फ्यूजन ज्यादा हो गया। इरफान और राधिका के अलावा दीपक डोबरियाल और कीकू शारदा के निभाए किरदारों को भी राजस्थानी बताया गया है। लेकिन राजस्थानी लहजे में बोले गए उनके डायलॉग कहीं.कहीं बोझिल लगे।
बहरहाल, फिल्म की मजबूत कड़ी अदाकारों की परफॉर्मेंस हैं। चंपक बंसल के रोल में इरफान ने असरदार अभिनय किया है। सिंगल पेरेंट की ख्वाहिशों और चुनौतियों को उन्होंने जीवंत किया है। पूरी उम्र अपना सब कुछ इकलौती बेटी पर न्यौछावर करने वाले शख्स की क्या पसंद-.नापसंद हो सकती है, उसे इरफान ने अलग आयाम दिया है। जब तारिका के साथ उसकी जज्बाती जंग होती है तो वो भी फिल्म में जबरदस्त तरीके से उभर और निखर कर सामने आ जाती है। इरफान ने अपनी परफॉर्मेंस से फिल्म के कमजोर लेखन में जान फूंक दी है।
ऽ तारिका की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। जिस परिवेश में वो रही है, वहां औरतों को कुछ नहीं समझा जाता है। ऐसे में वह हर हाल में लंदन कूच करना चाहती है। इसी चक्कर में उसे अपने पिता के त्याग भी नहीं दिखते। कहा जा सकता है कि तारिका के तौर पर राधिका मदान ने अपने करिअर की अबतक की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है।
ऽ चंपक के भाई की भूमिका में दिखे दीपक डोबरियाल फिल्म की दूसरी सबसे मजबूत कड़ी हैं। किरदार के गेटअप से लेकर उसके हाव.भाव को बेहद खूबसूरती से निभाया है। डिंपल कपाड़िया और करीना कपूर खान ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है। बाकी साथी कलाकारों ने भी ठीक.ठाक काम किया है।
ऽ फिल्म जादुई असर छोड़ पाती अगर कलाकारों की जोरदार अदायगी को सधी हुई लेखनी का साथ मिला होता। हलांकि एक फ्रेम में इतने मंझे हुए कलाकारों को देखना एक सुखद अनुभव है ।
अगर मुझसे कोई रेटिंग पूछे तो मेरा जवाब पांच में से तीन स्टार होगा।
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