कोरोना वायरस को हराने के क्रम में पूरा देश लाॅकडाउन है। सभी अपने-अपने घरों मे कैद हैं (स्वयं और समाज की रक्षा के लिए) और सभी के पास काफी समय है। ऐसे में दूरदर्शन ने लोकप्रिय सिरियल को फिर से प्रसारित कर समय को सदुपयोग करने का मौका दिया है। शनिवार को सुबह नौ बजे रामायण का पहला एपिसोड प्रसारित किया गया। लोगों ने पूरे उत्साह से रामानंद सागर की रामायण देखी। कुछ ऐसे बालक, किशोर व युवा-युवती थे जो पहली बार दूरदर्शन पर रामायण देख रहे थे वहीं एक दूसरा तबका भी था जिसके पास पूर्व में यह धारावाहिक देखने का अनुभव था। रामायण एक लोकप्रिय धारावाहिक है। एक वक्त था (1987-1988) जब लोग रविवार को स्नान आदि कर टीवी के आगे बैठ जाते थे। इतनी तल्लीनता से देखने में जुट जाते थे कि सड़कों व मुहल्लों में सन्नाटा पसर जाता था। रामायण को एक बार फिर से प्रसारित करने के निर्णय पर लोगों में हर्ष व्याप्त था। पूरी श्रद्धाभाव से रामायण देखने लोग रिमोट लेकर डीडी नेशनल खोज रहे थे।
हलांकि आज व आज से 33 वर्ष पहले की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर है। उस समय बहुत कम ही घरों में टीवी रहता था। आज यूटयूब पर सभी एपिसोड उपलब्ध है जब व जहां मर्जी देख सकते हैं। कई के पास डीवीडी भी है। पर एक नियत समय में राष्ट्रीय चैनल पर देखने का एक अलग अनुभव है। जो पहली बार देख रहे थे वे काफी कितना गदगद थे। यहां तक कि लोग एक दूसरे को फोन कर बता रहे थे कि रामायण शुरू हो गयी है। मुझे नहीं लगता कि हाल के दिनों में अन्य चैनलों के बीच कभी डीडी नेशनल को इस तरह ढूंढा जा रहा होगा।
इस सिरियल से भारतीय पंरपरा के साथ मानवीय मूल्यों को भी समझा जा सकता है। रामायण को पढ़ने व टीवी स्क्रीन पर रामायण के पात्रों व उनके हावभाव को देखने में काफी अंतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस सिरियल को काफी श्रद्धाभाव से बनाया गया था। बाद में भी रामायण पर आधारित कई सिरियल बने वह भी तब जब तकनीकी क्षमता पहले की अपेक्षा उच्च स्तरीय है। पर जितने भी नये सिरियल बने किसी ने भी लोगों के मन मस्तिष्क में वह स्थान नहीं बना पाया है जो रामानंद सागर की इस रामायण ने बनायी है। परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक घंटे तक बैठकर भगवान श्री रामचंद्र जी की कथा को देखने का अनुभव अदभुत है।
इस सिरियल से भारतीय पंरपरा के साथ मानवीय मूल्यों को भी समझा जा सकता है। रामायण को पढ़ने व टीवी स्क्रीन पर रामायण के पात्रों व उनके हावभाव को देखने में काफी अंतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस सिरियल को काफी श्रद्धाभाव से बनाया गया था। बाद में भी रामायण पर आधारित कई सिरियल बने वह भी तब जब तकनीकी क्षमता पहले की अपेक्षा उच्च स्तरीय है। पर जितने भी नये सिरियल बने किसी ने भी लोगों के मन मस्तिष्क में वह स्थान नहीं बना पाया है जो रामानंद सागर की इस रामायण ने बनायी है। परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक घंटे तक बैठकर भगवान श्री रामचंद्र जी की कथा को देखने का अनुभव अदभुत है।
रामायण हमें बताती है कि संघर्ष चाहे जैसा भी हो जीत अंत में सच्चाई की ही होती है। सत्यमेव जयते की पाठ पढ़ानेवाली यह रामायण हमें यह विश्वास दिलाती है कि कोई एक सुप्रीम पावर है जो धर्म व सत्य का साथ देने अवतार लेती है। साथ ही साथ डीडी भारती में महाभारत का भी प्रसारण किया गया।
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