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मंदिर परिसर में कतारबद्ध खड़े भक्तगण |
एक बार में पचास भक्तों को ही अनुमति
बाबा वैद्यनाथ मंदिर: द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ मंदिर में अब तक पूर्व की व्यवस्था के तहत ही पूजा अर्चान की गयी। लेकिन अब बाबा बैद्यनाथ मंदिर में यात्रियों की संख्या का दायरा बढ़ सकता है। दो दिन बाद नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। एसडीओ सह मंदिर प्रभारी दिनेश कुमार यादव ने कहा कि नई गाइड लाइन के हिसाब से नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इसमें भी ई पास अनिवार्य होगा, लेकिन यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। अब यात्रियों को क्यू कांप्लेक्स के माध्यम से मंदिर तक पहुंचाया जाएगा। एक साथ एक जगह पचास यात्री को रखा जा सकता है। दो गज की दूरी के साथ ही हो सकेगा प्रवेश। .भक्तों, पुजारियों को मास्क या फेस कवर लगाना होगा अनिवार्य। बाबा बैद्यनाथ के दर्शन हेतु ऑनलाइन माध्यम की सुविधा।
सात माह बाद खुला मां का दरबार
कोरोना संक्रमण के कारण सात महीने से बंद मां छिन्नमस्तिका का दरबार आखिरकार गुरुवार को खुल गया। सुबह से ही भक्त दर्शन के लिए आतुर रहे। हालांकि पहले दिन उपस्थिति कम रही, लेकिन आस्था में कोई कमी नहीं दिखी। मां का दर्शन कर आंखें निहाल हो गई।
गुरुवार अहले सुबह चार बजे मंदिर का पट खुलते ही विधि-विधान से माता का स्नान कराया गया। सुबह छह बजे आम श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिर का पट खोल दिया गया। पहले दिन करीब एक सौ से भी कम श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। परंतु भक्तों में भक्ति और आस्था की कोई कमी नहीं रही, पुजारियों के साथ-साथ श्रद्धालुओं ने भी नियमों का पालन करते देखे गए। एक ओर जिला प्रशासन के पदाधिकारी और छिन्नमस्तिके मंदिर न्यास समिति के लोग कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए देखा गया।
खोल दिया गया मां भद्रकाली मंदिर का कपाट
ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर का कपाट गुरुवार को भक्तों के लिए खोल दिया गया। इसी के साथ माता रानी का दरबार मां भद्रकाली के जयकारे से गुंजायमान होने लगा। हालांकि कोरोना के संकट काल को देखते हुए कई तरह की पाबंदियों के बीच भक्तों को माता का दर्शन करना पड़ रहा है। सरकार के गाइडलाइन का अनुपालन कराने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी तत्पर नजर आ रहे हैं।
मालूम हो कि कोरोना के कारण बीते 22 मार्च को मां भद्रकाली मंदिर के कपाट श्रद्धालु भक्तों के लिए बंद किए गए थे। तब से सिर्फ मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा का अनुष्ठान करते आ रहे थे। इसी बीच सरकार ने 8 मार्च से मंदिर के कपाट खोलने का निर्देश जारी किया। गुरुवार की सुबह छह बजे से ही नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन के लिए मंदिर में प्रवेश मिलने लगा। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनर से जांच करने के पश्चात ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। श्रद्धालु भक्तों के बीच दो गज की दूरी रखने के लिए मंदिर परिसर में गोले बनाए गए हैं। मंदिर के गर्भ गृह में एक वक्त में सिर्फ पांच श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जा रहा है।
मधुबन: तीर्थयात्रियों का इंतजार
जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन शिखरजी के भी सभी मंदिर व धर्मशालायें आठ अक्टूबर को खुल गये। हलांकि मंदिर खुलने के बाद एक्का- दुक्का भक्त ही मधुबन पहुंचें। हलांकि इस स्थल को अभी ओर तीर्थयात्रियों का इंतजार करना पड़ सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि यहां तीर्थयात्रियों का आगमन महाराष्ट्र] गुजरात] मध्यप्रदेश] उत्तर प्रदेश] राजस्थन] दिल्ली] कर्नाटक आदि राज्यों से भारी संख्या में आते हैं।
मंदिरों में प्रतिदिन की भांति स्थानीय पुजारियों ने ही पूजा अर्चना की। गुरूवार देर संध्या लखनउ के लगभग छह तीर्थयात्री पहुंचें। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सबसे पहले तीर्थयात्रियों का कोविड टेस्ट कराया गया। सभी तीर्थयात्रियों की रिपोर्ट निगेटिव पाई गयी। उसके बाद मंदिरों में दर्शन कर सके।
& दीपक मिश्रा] देशदुनियावेब
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