देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर को दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग का उद्घाटन किया। और इसी के साथ यह सुरंग देश को समर्पित हो गयी। यह सुरंग न केवल सुरक्षा समेत अन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसे पर्यटन क्षेत्र को भी गति मिलने की संभावना है। उदघाटन से पुर्व श्री मोदी ने मनोरम वादियों के बीच स्थित सुरंग व कार्यक्रम स्थल का अवलोकन किया। जायजा लेने के क्रम में सुंरग के मुख्यद्वार पर भी कुछ समय व्यतीत किया। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह व हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत कई अन्य आलाधिकारी थे।
इस कार्यक्रम के दौरान अपने उदगार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ बल्कि कारोड़ो लोगों का दशकों पूरा इंतजार पूरा हुआ। यहां की घाटियां व वादियां सदैव आकर्षित करती रही है तब से जब अटल जी यहां आते थे। और जो बात अटल जी का सपना बना और आज उसी सपने की सिद्वि हुई।उन्होंने मेहनतकश जवानों, अभियंताओ और वैसे मजदूरों को भी बधाई दी जिन्होंने इस संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान दिया। इस टनल से तीन चार घंटे की दूरी कम हो जायेगी और पहाड़ में रहने वाले लोग इसका महत्व भलीभांति जानते हैं। अटल जी की सरकार जाने के बाद टनल का काम भूला दिया गया था। 2014 के बाद जबर्दस्त तेजी लाई गयी। केवल 6 साल में 26 साल का काम पूरा कर लिया गया। कनेक्टविटि का अहम महत्व है। कनेक्टविटि के जरिये ही देश के विकास में गति है।
बता दें कि अटल सुरंग (Atal tunnel) दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी करीब छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। हिमालय के पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सुरंग को बनाया गया है।
अटल सुरंग (Atal tunnel) का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3,060 मीटर की ऊंचाई पर बना है। जबकि उत्तरी पोर्टल 3,071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। अधिकारियों ने बताया कि घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चैड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है। बताया गया कि 3,300 करोड़ रुपये की कीमत से बनी सुरंग देश की रक्षा के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण है।
अटल सुरंग का डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कारों और 1500 ट्रकों के लिए तैयार किया गया है। जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था।
आइये एक बार और जान लेते हैं अटल सुरंग की खास बातें
- 3,300 करोड़ रुपये से बनी अटल सुरंग देश की रक्षा के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण।
- अटल टनल दुनिया में सबसे लंबी हाईवे सुरंग है।
- 9.02 किलोमीटर लंबाई है अलट सुरंग की।
- मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से पूरे साल जोड़े रखेगी।
- हिमालय के पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच में बनाई गई है अटल सुरंग।
- अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किमी की दूरी पर 3,060 मीटर की ऊंचाई पर बना है।
-उत्तरी पोर्टल 3,071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है।
- घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में 8 मीटर चैड़ी सड़क है।
- अटल सुरंग की ऊंचाई 5.525 मीटर है।
- अटल सुरंग का डिजाइन प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के लिए तैयार किया गया है।
- अटल टनल के अंदर वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
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