खरमास को शुभ व मंगल कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। जब तक खरमास समाप्त नहीं हो जाता तब तक विवाहादि मांगलिक कार्य पूरे नहीं किए जाते हैं। मकर संक्राति के साथ ही खरमास समाप्त हो गया बावजदू इस वर्ष शहनाई नहीं बज सकती। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरू व शुक्र को भी मंगल कार्यों का कारक माना जाता है। और अगर ये अस्त हो जायंे तो मांगलिक नहीं किए जाते हैं। यही वजह है कि इस वर्ष खरमास समाप्त होने के बावजूद मांगलिक कार्य विशेषकर विवाह नहीं होंगे।
14 जनवरी को दिन में सूर्य देव ने धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश किया और इसी के साथ खरमास समाप्त हो गया। अब 19 जनवरी को देव गुरू जिन्हें शुभ कार्यों का कारक माना जाता है वे भी अस्त हो जायेंगे। देव गुरू का उदय 16 फरवरी को होगा लेकिन देव गुरू के उदय होते ही शुक्र अस्त हो जायेंगे। परिणामतः फिर से विवाह का मुहूर्त नहीं बन सकता। शुक्र का उदय 17 अप्रैल को होगा। ऐसे में शुक्र उदय होने के बाद ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो पायेगी। जिनके घर में विवाहादि मांगलिक कार्य होने हैं उन्हें 17 अप्रैल तक इंतजार करना पड़ेगा।
ज्योतिश के जानकारों के अनुसार जब भी देव गुरू बृहस्पति सूर्य के समीप 11 डिग्री पर होते हैं तो उन्हें अस्त माना जाता है। इस बार 19 जनवरी से 16 फरवरी तक देव गुरू अस्त रहेंगे। हर साल देव गुरू बृहस्पति लगभग एक महीने तक अस्त रहते हैं।
दीपक मिश्रा, देशदुनियावेब
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