फिल्म समीक्षा
डायरेक्टर : हार्दिक मेहता
श्रेणी:Hindi, Horror, Comedy
अवधि:2 Hrs 25 Min
महाशिवरात्रि के दिन बाॅलीवुड की एक मुवी 'रूही' रिलीज हुई। इस फिल्म का प्रचार प्रसार इस तरह की गयी थी जैसे यह ‘स्त्री‘ की जैसी है या फिर स्त्री की कहानी इसमें देखने को मिल सकती है। यही कारण है कि दर्शकों में भी इस फिल्म को लेकर उत्सुकता थी। लेकिन फिल्म देखकर थियेटर से बाहर निकलने वाले दर्शकों में बहुत कम ही ऐसे दर्शक थे जिनके चेहरे पर पैसा वसूल का भाव नजर आ रहा था। एक तरह से कहा जाय तो ‘स्त्री‘ की सफलता को इस फिल्म से भुनाने की कोशिश की गयी है।
अब जो भी हो आइये जान लेते हैं कि इस फिल्म की कहानी क्या है। बागड़पुर के क्राइम रिपोर्टर भंवरा पांडेय यानी राजकुमार राव और उसके साथ रहने वाले काॅलम राइटर कटन्नी यानी वरूण शर्मा ‘पकड़ाई शादी‘ का भी काम करवाते हैं। पकड़ाई शादी ऐसी शादी है जिसमें लड़की को अगवा कर उसका जबरन विवाह कर दिया जाता है। अब यहां वे दोनों अपने मालिक अर्थात मनोज विज के आदेशानुसार रूही यानी जान्हवी कपूर को अगवा कर लेते हैं और किसी कारणवश शादी एक सप्ताह के लिए स्थगित हो जाती है। लिहाजा वे दोनों उसे शहर से दूर एक अमियापुर की लकड़ी की फैक्टी में ले जाते हैं। वहां दोनों को रूही के शरीर में अफ्जा की आत्मा के होने का पता चलता है। कटन्नी इस आत्मा से डरने के बजाय उससे प्रेम करना शुरू कर देता हैं वहीं भंवरा को मासूम रूही से इश्क हो जाता है। वह रूही से वादा करता है कि आत्मा को उसके शरीर से मुक्त कराकर ही दम लेगा।
शुरूआती दौर से ही हमें यह फिल्म काफी लंबी लगने लगती है। उदाहरण के तौर पकड़ाई शादी को ही समझाने में काफी समय लग जाता है। हलांकि भूतनी से प्रेम एक नया एंगल है और इसे और भी बेहतर तरीके से दर्शाया जा सकता था। लेखन में कमी महसूस होती है।
बात कर लेते हैं अभिनय कि राजकुमार राव पर्दे पर एक स्माल टाउन वाली छवि लेकर आये है। बावजूद कई बार हमें दोहराव देखने को मिलता है। वहीं वरूण शर्मा की काॅमिक टाइमिंग गजब की है उनका हावभाव देखते ही हंसी आने लगती है। वहीं जान्हवीं अपने किरदारों को निभाने की काफी कोशिश करते नजर आती हैं।
फिल्म में कहीं भी खुलकर तो दर्शक नहीं हंस पाते हैं फिर भी कहीं कहीं हंसने के मौके मिल जाते है। लेकिन हमें उसी चीज की कमी खलती है जिसका जिक्र फिल्म रिलीज होने तक जम कर किया गया था। और यह कि यह एक हाॅरर फिल्म है। पर यकीन मानिये यह फिल्म अपने दर्शकों को डरा नहीं पाती है।
फिल्म में मुख्य कहानियों के साथ भी कई कहानियां हैं जो इन किरदारों का भूतकाल है। फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो ‘नदियो पार‘ और ‘पनघट‘ दो मुख्य गाने हैं। हलांकि फिल्म औसत है पर जब धीरे-धीरे थियेटर आदि खुल रहे हैं तो बडे पर्दे पर इस फिल्म को देखा जा सकता है।
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